Tuesday, May 25, 2010

thursday, june 18, 2009

sabak ek dost ka@@@

ऐसे तलाशने से कुछ नहीं मिलता हैं!
इस हसरत से दिल का दर्द मिलता हैं!
इस दर्द भरी दुनिया में बस इंतजार ही मिलता हैं!
किस लियें उलझते हों जमाने से !
यहाँ हर कोई बहरा ही मिलता हैं!
क्या हम सफ़र, क्या दोस्त, क्या हमराज!
सब आपने सफ़र का सोचते मिलते हैं!!!
@@daisy aggarwa@@

No comments:

Post a Comment