Tuesday, May 25, 2010

hursday, april 30, 2009

बेटियाँ...............

रेत के समन्दर सी है यह ज़िन्दगी,तूफ़ां अगर आ जाए बिखर जाए ज़िन्दगी।आंसूओं के झरने ने समंदर बना दियासागर किनारे प्यासी ही रह जाए ज़िन्दगी।जिन बेटियों को जन्म से पहले मिटा दिया,उन बेटियों को बार-बार लाए ज़िन्दगी।पैरों की धूल मानकर इनको न रौंदना,गिर जाए अगर आँख में रुलाए ज़िन्दगी।चाहे बना लो रेत के कितने घरौंदे तुम,वक़्त के उबाल में ढ़ह जाए ज़िन्दगी।जिसका वजूद रेत
के तले दबा दिया,उसको ही चट्टान बनाए यह ज़िन्दगी।
इस दुनिया का सच;;;;;;;;;;;;;;

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