saturday, july 25, 2009
kya bat hein$%
हर रोज किताब का पन्ना पलट कर सोचती हों ,
काश ऐसे ही पलट जाएँ हमारी जिन्दगी!
खयालो में जो मिलते हें रोज,
अचानक सामने आ जाएँ तो क्या बात हें!
हर शख्स अपनी बारे में सोचता हें हर रोज,
दोस्तों कें बारे में सोचे तो क्या बात हें!
माँ बाप जीतें हें हमारे लियें हर रोज,
हम उन कें लियें जियें तो क्या बात हें!
हम तो सबको चाहतें हें सबको हर रोज,
कोई हमें दिल सें चाहें तो क्या बात हें!!
@@daisy aggarwal@@
काश ऐसे ही पलट जाएँ हमारी जिन्दगी!
खयालो में जो मिलते हें रोज,
अचानक सामने आ जाएँ तो क्या बात हें!
हर शख्स अपनी बारे में सोचता हें हर रोज,
दोस्तों कें बारे में सोचे तो क्या बात हें!
माँ बाप जीतें हें हमारे लियें हर रोज,
हम उन कें लियें जियें तो क्या बात हें!
हम तो सबको चाहतें हें सबको हर रोज,
कोई हमें दिल सें चाहें तो क्या बात हें!!
@@daisy aggarwal@@
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