में एक घुमंतू मुसाफिर
कभी इधर
कभी उधर
एक दिन पहुंचा
एक गाँव, जो था शांत सा.
एक मंदिर कें आंगन में
सुस्ताने लगा
भगवन का भजन गुनगुनाने लगा
अचानक देखा संध्या कें वक्त
भगवान की आँखे हो गई नम
मैं हैरान की हमारी नम आँखों का रखवाला
आज खुद नम क्यूँ
पूछा भगवन!
यह आपकी कौन सी है माया
भगवान लम्बी साँस ले कर बोले
आज एक माँ नें फिर मारा मुझे
में स्तब्ध निशब्द
इस संसार में आपको
मारने की सोचना
न न भगवान मत सताओ
बातों - पहेली न बनाओ
भगवान बोले
जब उन्होने राज खोले
हम निशब्द थे एक बार फिर
वो बोले माँ
अपने लाल का नाम रखती हैं
राम, लखन, शिव, विष्णु,
और उनकी उदंडता पर
उन्हे सरकंडे सें मरती हैं
और हम बेवजह
लपेटे में आ जाते हैं!!
जय बाबा जी की..
daisy aggarwal**